Wednesday 7 August 2013

‘मंत्र’ का अर्थ'

‘मंत्र’ का अर्थ

‘मंत्र’ का अर्थ शास्त्रों में ‘मन: तारयति इति मंत्र:’ के रूप में बताया गया है, अर्थात मन को तारने वाली ध्वनि ही मंत्र है। वेदों में शब्दों के संयोजन से ऐसी ध्वनि उत्पन्न की गई है, जिससे मानव मात्र का मानसिक कल्याण हो। ‘बीज मंत्र’ किसी भी मंत्र का वह लघु रूप है, जो मंत्र के साथ उपयोग करने पर उत्प्रेरक का कार्य करता है। यहां हम यह भी निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि बीज मंत्र मंत्रों के प्राण हैं या उनकी चाबी हैं

जैसे एक मंत्र-‘श्रीं’ मंत्र की ओर ध्यान दें तो इस बीज मंत्र में ‘श’ लक्ष्मी का प्रतीक है, ‘र’ धन सम्पदा का, ‘ई’ प्रतीक शक्ति का और सभी मंत्रों में प्रयुक्त ‘बिन्दु’ दुख हरण का प्रतीक है। इस तरह से हम जान पाते हैं कि एक अक्षर में ही मंत्र छुपा होता है। इसी तरह ऐं, ह्रीं, क्लीं, रं, वं आदि सभी बीज मंत्र अत्यंत कल्याणकारी हैं। हम यह कह सकते हैं कि बीज मंत्र वे गूढ़ मंत्र हैं, जो किसी भी देवता को प्रसन्न करने में कुंजी का कार्य करते हैं

मंत्र शब्द मन +त्र के संयोग से बना है !मन का अर्थ है सोच ,विचार ,मनन ,या चिंतन करना ! और "त्र " का अर्थ है बचाने वाला , सब प्रकार के अनर्थ, भय से !लिंग भेद से मंत्रो का विभाजन पुरुष ,स्त्री ,तथा नपुंसक के रूप में है !पुरुष मन्त्रों के अंत में "हूं फट " स्त्री मंत्रो के अंत में "स्वाहा " ,तथा नपुंसक मन्त्रों के अंत में "नमः " लगता है ! मंत्र साधना का योग से घनिष्ठ सम्बन्ध है......

मंत्रों की शक्ति--

मंत्रों की शक्ति तथा इनका महत्व ज्योतिष में वर्णित सभी रत्नों एवम उपायों से अधिक है।

मंत्रों के माध्यम से ऐसे बहुत से दोष बहुत हद तक नियंत्रित किए जा सकते हैं जो रत्नों तथा अन्य उपायों के द्वारा ठीक नहीं किए जा सकते।

कैंसर रोग

ॐ नम: शिवाय शंभवे कर्केशाय नमो नम:।

यह मंत्र किसी भी तरह के कैंसर रोग में लाभदायक होता है।

मस्तिष्क रोग

ॐ उमा देवीभ्यां नम:।

यह मंत्र मस्तिष्क संबंधी विभिन्न रोगों जैसे सिरदर्द, हिस्टीरिया, याददाश्त जाने आदि में लाभदायी माना जाता है।

आंखों के रोग

ॐ शंखिनीभ्यां नम:।

इस मंत्र से जातक को मोतियाबिंद सहित रतौंधी, नेत्र ज्योति कम होने आदि की परेशानी में लाभ मिलता है।

हृदय रोग

ॐ नम: शिवाय संभवे व्योमेशाय नम:।

हृदय संबंधी रोगों से अधिकांश लोग पीड़ित होते हैं। इसलिए अगर वे इस मंत्र का जप करें, तो उन्हें लाभ मिलता है।

स्नायु रोग

ॐ धं धर्नुधारिभ्यां नम:।

कान संबंधी रोग

ॐ व्हां द्वार वासिनीभ्यां नम:।

कर्ण विकारों को दूर करने में यह मंत्र आश्चर्यजनक भूमिका निभाता है।

कफ संबंधी रोग

ॐ पद्मावतीभ्यां नम:।

श्वास रोग

ॐ नम: शिवाय संभवे श्वासेशाय नमो नम:।

पक्षाघात रोग

ॐ नम: शिवाय शंभवे खगेशाय नमो नम:।

इन मंत्रों की शक्ति से रोग भागते हैं मंत्रों में गजब की शक्ति होती है। इनका नियमित जप न केवल जातक को मानसिक शांति देता है, बल्कि उन्हें होने वाली गंभीर बीमारियों को भी दूर भगा सकता हैं अब आप कितना करते है यह तो आप पर निर्भर करता हैं। इसमे कोई अतिशोक्ति नही यदि कुछ रोग जड से सामाप्त हो जाये।

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