Tuesday 30 July 2013

क्यों चढ़ाते हैं सूर्य को जल ?



क्यों चढ़ाते हैं सूर्य को जल ?
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हिंदू धर्म पद्धति सहित कई धर्मो में सुबह उगते सूर्य को अघ्र्य देने (जल चढ़ाने) का महत्व है। इससे कई फायदे बताए गए हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि क्या सूर्य को जल चढ़ाने से सीधे कोई लाभ मिलता है या नहीं। वास्तव में सूर्य को जल चढ़ाने से हमारे व्यक्तित्व पर सीधा असर पड़ता है।

इसके दो कारण हैं। सूर्य को अघ्र्य देने के पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि जब हम सुबह जल्दी उठकर सूर्य को जल चढ़ाते हैं तो इससे सीधे-सीधे हमारे स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। सुबह की ताजी हवा और सूर्य की पहली किरणों हम पर पड़ती हैं। इससे हमारे चेहरे पर तेज दिखाई देता है।

दूसरा कारण है जब हम सूर्य को जल चढ़ाते हैं और पानी की धारा के बीच उगते सूरज को देखते हैं तो नेत्र ज्योति बढ़ती है, पानी के बीच से होकर आने वाली सूर्य की किरणों जब शरीर पर पड़ती हैं तो इसकी किरणों के रंगों का भी हमारे शरीर पर प्रभाव पड़ता है। जिससे विटामिन डी जैसे कई गुण भी मौजूद होते हैं। इसलिए कहा गया है कि जो उगते सूर्य को जल चढ़ाता है उसमें सूर्य जैसा तेज आता है।

कष्ट व संकटमुक्ति शिव मंत्र



शास्त्रों में बताए कुछ शिव मंत्र मन को पावनता से जोड़ सारी दिक्कतों का जल्द अंत करने वाले माने गए हैं।खासतौर पर सोमवार या विशेष शिव तिथि पर यहां बताए जा रहे शिव मंत्र का स्मरण पाप व संकटनाशक माना गया है। सोमवार को शिव की सफेद चंदन, अक्षत, बिल्वपत्र, सफेद फूल के साथ दूध से बनी सफेद रंग की मिठाईयों का भोग लगाएं। धूप व दीप लगाकर नीचे लिखा शिव मंत्र बोलें व शिव की आरती कर कष्ट व संकटमुक्ति की कामना करें -

नमो रुद्राय महते सर्वेशाय हितैषिणे। नन्दीसंस्थाय देवाय विद्याभकराय च।। पापान्तकाय भर्गाय नमोनन्ताय वेधसे। नमो मायाहरेशाय नमस्ते लोकशंकर।।

Sunday 28 July 2013

श्रावण माष में रुद्राभिषेक महात्म्य

श्रावण माष में रुद्राभिषेक महात्म्य --------

भगवान शिव का पूजन व रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है |
रुद्राभिषेक करने से कार्य की सिद्धि शीघ्र होती है |
धन की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को स्फटिक शिवलिगं पर गोदुग्ध से,
सुख समृद्धि की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को गोदुग्ध में चीनी व मेवे के घोल से,
शत्रु विनाश के लिए सरसों के तेल से,
पुत्र प्राप्ति हेतु मक्खन या घी से,
अभीष्ट की प्राप्ति हेतु गोघृत से तथा भूमि भवन एवं वाहन की प्राप्ति हेतु शहद से रुद्राभिषेक करना चाहिए |

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नव ग्रहों के पीड़ा के निवारणार्थ निम्न द्रव्य विहित है...... यदि जन्म कुण्डली में सूर्य से सम्बन्धितकष्ट या रोग हो तो श्वेतार्क के पत्तो को पीस कर गंगाजल में मिलाकर रुद्राभिषेक करें | चन्द्रमा से सम्बन्धित कष्ट या रोग हो तो काले तिल को पीस कर गंगाजल में मिलाकर, मंगल से सम्बन्धित कष्ट या रोग हो तो अमृता के रस को गंगाजल में मिलाकर,बुध जनित रोग या कष्ट हो तो विधारा के रस से,,गुरु जन्य कष्ट या रोग हो तो हल्दी मिश्रित गोदुग्ध से,,
शुक्र से सम्बन्धित रोग एवं कष्ट हो तो गोदुग्ध के छाछ से,, शनि से सम्बन्धित रोग या कष्ट होने पर
शमी के पत्ते को पीस कर गंगाजल में मिलाकर,,राहु जनित कष्ट व पीड़ा होने पर दूर्वा मिश्रित गंगा जल से,, केतु जनित कष्ट या रोग होने पर कुश की जड़ को पीसकर गंगाजल में मिश्रित करके रुद्राभिषेक करने पर कष्टों का निवारण होता है व समस्त ग्रह जनित रोग का समन होता है |

Saturday 27 July 2013

जब भी मंदिर जाए तो सबसे पहले घंटी जरुर बजाएं



जब भी मंदिर जाए तो सबसे पहले घंटी जरुर बजाएं, क्योंकि...

जीवन से जुड़ी से किसी भी परेशानी को दूर करने या मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान की भक्ति ही सर्वश्रेष्ठ मार्ग है। शास्त्रों के अनुसार भगवान की कृपा शीघ्र प्राप्त करने के लिए कई प्रकार के नियम बनाए गए हैं। इन नियमों का पालन पर देवी-देवता जल्दी ही प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों की परेशानियों का निराकरण कर देते हैं।

मंदिरों से हमेशा घंटी की आवाज आती रहती है। सामान्यत: सभी श्रद्धालु मंदिरों में लगी घंटी अवश्य बजाते हैं। घंटी की आवाज हमें ईश्वर की अनुभूति तो कराती है साथ ही हमारे स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। घंटी आवाज से जो कंपन होता है उससे हमारे शरीर पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। घंटी की आवाज से हमारा दिमाग बुरे विचारों से हट जाता है और विचार शुद्ध बनते हैं।

पुरातन काल से ही मंदिरों में घंटियां से लगाई जाती हैं। ऐसी मान्यता है कि जिस मंदिर से घंटी बजने की आवाज नियमित आती है, उसे जागृत देव मंदिर कहते हैं। उल्लेखनीय है कि सुबह-शाम मंदिरों में जब पूजा-आरती की जाती है तो छोटी घंटियों, घंटों के अलाव घडिय़ाल भी बजाए जाते हैं। इन्हें विशेष ताल और गति से बजाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि घंटी बजाने से मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति के देवता भी चैतन्य हो जाते हैं, जिससे उनकी पूजा प्रभावशाली तथा शीघ्र फल देने वाली होती है।

पुराणों के अनुसार मंदिर में घंटी बजाने से हमारे कई पाप नष्ट हो जाते हैं। जब सृष्टि का प्रारंभ हुआ तब जो नाद (आवाज) था, वहीं स्वर घंटी की आवाज से निकलती है। यही नाद ओंकार के उच्चारण से भी जाग्रत होता है। घंटे को काल का प्रतीक भी माना गया है। धर्म शास्त्रियों के अनुसार जब प्रलय काल आएगा तब भी इसी प्रकार का नाद प्रकट होगा।

मंदिरों में घंटी बजाने का वैज्ञानिक कारण भी है। जब घंटी बजाई जाती है तो उससे वातावरण में कंपन उत्पन्न होता है जो वायुमंडल के कारण काफी दूर तक जाता है। इस कंपन की सीमा में आने वाले जीवाणु, विषाणु आदि सुक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं तथा मंदिर का तथा उसके आस-पास का वातावरण शुद्ध बना रहता है। साथ ही इस कंपन का हमारे शरीर पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। घंटी की आवाज से हमारा दिमाग बुरे विचारों से हट जाता है और विचार शुद्ध बनते हैं। नकारात्मक सोच खत्म होती है। इसी वजह से हम जब भी मंदिर जाए तो मंदिर की घंटी जरूर बजानी चाहिए।...

Thursday 11 July 2013

शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव के दस प्रमुख अवतार ।

शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव के दस प्रमुख अवतार ।
यह दस अवतार इस प्रकार है, जो मानव को सभी इच्छित फल प्रदान करने वाले हैं-

1. महाकाल- शिव के दस प्रमुख अवतारों में पहला अवतार महाकाल नाम से विख्यात हैं। भगवान शिव का महाकाल स्वरुप अपने भक्तों को भोग और मोक्ष प्रदान करने वाला परम कल्याणी हैं। इस अवतार की शक्ति मां महाकाली मानी जाती हैं।

2. तार- भगवान शिव का तार स्वरुप अपने भक्तों को भुक्ति-मुक्ति, दोनों फल प्रदान करने वाला हैं। इस अवतार की शक्ति तारादेवी मानी जाती हैं।

3. बाल भुवनेश- भगवान शिव का बाल भुवनेश स्वरुप अपने भक्तों को सुख, समृद्धि और शांति प्रदान करने वाला हैं। इस अवतार की शक्ति को बाला भुवनेशी माना जाता हैं।

4.षोडश श्रीविद्येश- भगवान शिव का षोडश श्रीविद्येश स्वरुप अपने भक्तों को सुख, भोग और मोक्ष प्रदान करने वाला हैं। इस अवतार की शक्ति को देवी षोडशी श्रीविद्या माना जाता हैं।

5. भैरव- भगवान शिव का भैरव स्वरुप अपने भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करने वाला हैं। इस अवतार की शक्ति भैरवी गिरिजा मानी जाती हैं।

6. छिन्नमस्तक- भगवान शिव का छिन्नमस्तक स्वरुप अपने भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला हैं। इस अवतार की शक्ति देवी छिन्नमस्ता मानी जाती हैं।

7. धूमवान- भगवान शिव का धूमवान स्वरुप अपने भक्तों की सभी प्रकार से श्रेष्ठ फल देने वाला हैं। इस अवतार की शक्ति को देवी धूमावती माना जाता हैं।

8. बगलामुख- भगवान शिव का बगलामुख स्वरुप अपने भक्तों को परम आनंद प्रदान करने वाला हैं। इस अवतार की शक्ति को देवी बगलामुखी माना जाता हैं।

9. मातंग- भगवान शिव का मातंग स्वरुप अपने भक्तों की समस्त अभिलाषाओं को पूर्ण करने वाला हैं। इस अवतार की शक्ति को देवी मातंगी माना जाता हैं।

10. कमल- भगवान शिव का कमल स्वरुप अपने भक्तों को भुक्ति और मुक्ति प्रदान करने वाला हैं। इस अवतार की शक्ति को देवी कमला माना जाता हैं।

विद्वानो के मत से उक्त शिव के सभी प्रमुख अवतार व्यक्ति को सुख, समृद्धि, भोग, मोक्ष प्रदान करने वाले एवं व्यक्ति की रक्षा करने वाले हैं।

Wednesday 10 July 2013

बोध कथा


बोध कथा


एक डॉक्टर ने अपने अति-महत्वाकांक्षी और आक्रामक बिजनेसमैन मरीज को एक बेतुकी लगनेवाली सलाह दी. बिजनेसमैन ने डॉक्टर को बहुत कठिनाई से यह समझाने की कोशिश की कि उसे कितनी ज़रूरी मीटिंग्स और बिजनेस डील वगैरह करनी हैं और काम से थोड़ा सा भी समय निकालने पर बहुत बड़ा नुकसान हो जाएगा:

मैं हर रात अपना ब्रीफकेस खोलकर देखता हूँ और उसमें ढेर सारा काम बचा हुआ दिखता है” – बिजनेसमैन ने बड़े चिंतित स्वर में कहा.

तुम उसे अपने साथ घर लेकर जाते ही क्यों हो?” – डॉक्टर ने पूछा.

और मैं क्या कर सकता हूँ!? काम तो पूरा करना ही है न?” – बिजनेसमैन
झुंझलाते हुए बोला.

क्या और कोई इसे नहीं कर सकता? तुम किसी और की मदद क्यों नहीं लेते?” –
डॉक्टर ने पूछा.

नहीं” – बिजनेसमैन ने कहा – “सिर्फ मैं ही ये काम कर सकता हूँ. इसे तय समय में पूरा करना ज़रूरी है और सब कुछ मुझपर ही निर्भर करता है.

यदि मैं तुम्हारे पर्चे पर कुछ सलाह लिख दूं तो तुम उसे मानोगे?” –
डॉक्टर ने पूछा.

यकीन मानिए पर डाक्टर ने बिजनेसमैन मरीज के पर्चे पर यह लिखा कि वह सप्ताह में आधे दिन की छुट्टी लेकर वह समय कब्रिस्तान में बिताये!

मरीज ने हैरत से पूछा – “लेकिन मैं आधा दिन कब्रिस्तान में क्यों बैठूं?
उससे क्या होगा?”

देखो” – डॉक्टर ने कहा – “मैं चाहता हूँ कि तुम आधा दिन वहां बैठकर
कब्रों पर लगे पत्थरों को देखो. उन्हें देखकर तुम यह विचार करो कि
तुम्हारी तरह ही वे भी यही सोचते थे कि पूरी दुनिया का भार उनके ही कंधों पर ही था. अब ज़रा यह सोचो कि यदि तुम भी उनकी दुनिया में चले जाओगे तब भी यह दुनिया चलती रहेगी. तुम नहीं रहेगो तो तुम्हारे जगह कोई और ले लेगा. दुनिया घूमनी बंद नहीं हो जायेगी!

मरीज को यह बात समझ में आ गयी. उसने झुंझलाना और कुढ़ना छोड़ दिया. शांतिपूर्वक अपने कामों को निपटाते हुए उसने अपने बिजनेस में खुद के लिए और अपने कामगारों के लिए काम करने के बेहतर वातावरण का निर्माण किया.