Sunday 2 November 2014

मनचाहे वरदान के लिए श्रावण में करें विशेष शिवलिंग की पूजन



मनचाहे वरदान के लिए श्रावण में करें विशेष शिवलिंग की पूजन
श्रावण में विभिन्न प्रकार के शिवलिंगों के पूजन का विशेष महत्व बताया गया है। माना जाता है कि विशेष प्रकार के इन शिवलिंगों का अलग-अलग माहात्म्य और प्रभाव होता है। शिव साधकों द्वारा विशेष प्रयोजन को सिद्ध करने के लिए भी विभिन्न शिवलिंग बनाए और पूजे जाते हैं।
* कस्तूरी और चंदन से बने शिवलिंग के रुद्राभिषेक से शिव सायुज्य प्राप्त होता है।
* फूलों से बनाए गए शिवलिंग के पूजन से भू-संपत्ति प्राप्त होती है।
* संतान की इच्छा के लिए जौ, गेहूं, चावल तीनों का आटा समान भाग मिलाकर शिवलिंग बनाया जाता है। इसकी पूजा से स्वास्थ्य, धनश्री और संतान प्राप्ति होती है।
* रोग लाभ के लिए मिश्री से बनाए हुए शिवलिंग की पूजा रोग से छुटकारा देती है।
* सुख-शांति की प्राप्ति के लिए चीनी की चाशनी से बने शिवलिंग का पूजन होता है।
* बांस के अंकुर को शिवलिंग के समान काटकर पूजन करने से वंशवृद्धि होती है।
* दही को कपड़े में बांधकर निचोड़ देने के पश्चात उसमें जो शिवलिंग बनता है उसका पूजन लक्ष्मी और सुख प्रदान करने वाला होता है।
* खेती में अधिक उपज के लिए गुड़ में अन्न चिपकाकर शिवलिंग बनाकर पूजा करने से कृषि उत्पादन अधिक होता है।
* किसी भी फल को शिवलिंग के समान रखकर उसका रुद्राभिषेक करने से बगीचे में अधिक फल उत्पादन होता है।
* आंवले को पीसकर बनाए गए शिवलिंग का रुद्राभिषेक मुक्ति प्रदाता होता है।
* रूप और सौभाग्य के लिए स्त्रियों को मक्खन को अथवा वृक्षों के पत्तों को पीसकर बनाए गए शिवलिंग का रुद्राभिषेक करना श्रेयस्कर होता है।
* दूर्वा को शिवलिंगाकार गूंथकर उसकी पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है।
* कपूर से बने शिवलिंग का पूजन भक्ति और मुक्ति देता है।
* स्वर्ण निर्मित शिवलिंग का रुद्राभिषेक समृद्धि का वर्धन करता है।
* चांदी के शिवलिंग का रुद्राभिषेक धन-धान्य बढ़ाता है।
* शत्रुओं के दमन और विजय प्राप्ति के लिए लहसुनिया शिवलिंग का रुद्राभिषेक करते हैं।
* पीतल के शिवलिंग का रुद्राभिषेक दरिद्रता का निवारण करता है।
* पारे से बने शिवलिंग का पूजन सर्व कामप्रद, मोक्षप्रद, शिवस्वरूप बनाने वाला होता है। साथ ही ऐसे शिवलिंग का पूजन इन समस्त पापों का नाश कर संसार के संपूर्ण सुख एवं मोक्ष देता है।

Sunday 11 May 2014

सायंकाल के वक्त देवालय पर दीपक लगाएं-

सायंकाल के वक्त यह मंत्र बोल घर के देवालय या पवित्र स्थान अथवा शिवालय
पर अक्षत यानी पूरे चावल पर रख
माता लक्ष्मी या देव स्मरण कर दीपक
लगाएं-

दीपो ज्योति: परं ब्रह्म...
दीपो ज्योतिर्जनार्दन:।
दीपो हरतु मे पापं सांध्यदीप नमोस्तुते।।

Friday 9 May 2014



"ॐ मृत्यूंजाय, रूद्राय, नीलकंठाय, संभवे। अमृतेशाय सर्वाय महादेवाय ते नम:॥
हे रूद्र! आप मृत्यू को जितने वाले हैं। हे नीलकण्ठ आप अमृत सदृश्य सभी को सुख प्रदान करने वाले हैं। हे महादेव आपको नमस्कार।

Tuesday 22 April 2014

अनोखा उपाय- चमक उठेगी आपकी किस्मत,

अनोखा उपाय- चमक उठेगी आपकी किस्मत,

क्या आपके व्यवसाय में धन हानि अधिक हो रही है?
क्या आपके घर-परिवार में परेशानियों की वजह से रिश्तों में दरार पड़ गई है?
क्या आपके बच्चों को बीमारियां सताती रहती हैं?
क्या भाग्य आपका साथ नहीं दे रहा है?


यदि इस प्रकार के प्रश्नों से आप परेशान हैं तो यहां एक सटीक उपाय  हम आपको बताते हैं पर आप उसे यदि पूर्ण विश्वास से करेंगे तो आपकी सभी परेशानियां गायब हो जाएंगी।

जीवन से जुड़ी किसी भी प्रकार की समस्या को दूर करने के लिए शिव आराधना श्रेष्ठ उपाय है।

प्रतिदिन शिवजी का विधि-विधान से पूजन करें।
यदि विधिवत पूजन करने में असमर्थ हैं तो प्रतिदिन एक लौटे में शुद्ध जल भरें और उसमें थोड़े काले तिल डाल दें। अब इस जल को शिवलिंग पर “ऊँ नम: शिवाय” मंत्र जप के साथ चढ़ाएं। ध्यान रहे जल पतली धार से चढ़ाएं और मंत्र का जप करते रहें। इसके साथ ही महामृत्युंजय मंत्र का जप बेहद फायदेमंद रहता है।
ऐसा प्रतिदिन करें। ब्रह्ममुहूर्त में उठकर नित्यकर्म से निवृत्त होकर पवित्र हो जाएं फिर किसी भी सिद्ध शिव मंदिर में जाएं। जल चढ़ाने के साथ पुष्प और बिल्व पत्र भी चढ़ाएं तो उत्तम होगा।

इस उपाय को अपनाने से कुछ ही दिनों में चमत्कारिक फल की प्राप्ति होने लगेगी। ध्यान रहे इस उपाय के साथ ही अधार्मिक कर्मों से खुद को दूर रखें। किसी का दिल न दुखाएं और वृद्धजनों का सम्मान करें।



जय शिव



Sunday 20 April 2014

पूजा या मंत्र जाप कहाँ करे ?..



पूजा या मंत्र जाप कहाँ करे ?..
 
पूजा या मंत्र जाप के लिए हमारे वेदों में और शिव पूराण में कहा गया है की --
- घर में पूजा या जाप करने से गुना फल मिलता है .
- गाय या गौशाला के पास करने से सौ गुना फल मिलता है .
-पवित्र वन ,बगीचे तीर्थ स्थान में करने से हजार गुना फल मिलता है .
- पर्वत पर दस हजार गुना फल मिलता है .
- पवित्र नदियों के तट पर करने से कई लाख गुना फल मिलता है .
-देवालय में करने से करोड़ गुना फल मिलता है .
- शिव मंदिर में पूजा-
पाठ करने से अनंत गुना फल मिलता है .

Thursday 20 February 2014

महाशिवरात्रि व्रत - 2014

 महाशिवरात्रि व्रत - 2014

इस वर्ष महाशिवरात्रि का पावन पर्व 27 फरवरी 2014 को मनाया जायेगा ,
इस दिन शिव लिंग का प्रादुर्भाव हुआ था। इस कारण यह महाशिवरात्रि मानी जाती है। शिव पुराण में कहा गया है कि इस व्रत को वर्ण और वर्णेतर सभी समान रूप से कर सकते हैं।
महाशिवरात्रि व्रत निर्णय शिव लिंग के प्रकट होने के समयानुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि महाशिवरात्रि के नाम से जानी जाती है तथा अन्य मासों की कृष्ण चतुर्दशी शिवरात्रि के नाम से।
सिद्धांत रूप में सूर्योदय से सूर्योदय पर्यंत रहने वाली चतुर्दशी शुद्धा निशीथ (अर्धरात्रि) व्यापिनी ग्राह्य होती है। यदि यह शिवरात्रि त्रिस्पृशा (त्रयोदशी-चतुर्दशी- अमावस्या के स्पर्श की) हो, तो परमोत्तम मानी गयी है। मासिक शिवरात्रि में, कुछ विद्वानों के मतानुसार, त्रयोदशी विद्धा बहुत रात तक रहने वाली चतुर्दशी ली जाती है। इसमें जया त्रयोदशी का योग अधिक फलदायी होता है।
स्मृत्यंतरेऽपि प्रदोषव्यापिनी ग्राह्या शिवरात्रिः चतुर्दशी।
रात्रौ जागरणं यस्मांतस्मांतां समुपोषयेत्।।

अत्र प्रदोषो रात्रिः
उत्तरार्धे तस्यां हेतुत्वोक्तेः। स्मृत्यंतर में भी कहा गया है, कि शिवरात्रि में चतुर्दशी प्रदोषव्यापिनी ग्रहण करें। रात्रि में जागरण करें। अतः उसमें उपवास करें। यहां पर प्रदोष शब्द से मतलब रात्रि का ग्रहण है। उत्तरार्ध में उसका कारण बताया गया है: कामकेऽपि- आदित्यास्तमये काले अस्ति चेद्या चतुर्दशी। तद्रात्रिः शिवरात्रिः स्यात्सा भवेदंतमोत्तमा।। कामिक में भी कहा गया है कि सूर्य के अस्त समय में यदि चतुर्दशी हो, तो उस रात्रि को शिवरात्रि कहते हैं। वह उत्तमोत्तम होती है। आधी रात के पहले और आधी रात के बाद जहां चतुर्दशी युक्त हो, उसी तिथि में ही व्रती शिवरात्रि व्रत करें। आधी रात के पहले और आधी रात के बाद यदि चतुर्दशी युक्त न हो, तो व्रत को न करें, क्योंकि व्रत करने से आयु, ऐश्वर्य की हानि होती है।

प्रमुख ज्‍योर्तिलिंग
बारह स्‍थानों पर बारह ज्‍योर्तिलिंग स्‍थापित हैं। जानिए शिव के 12 ज्योतिर्लिंग
1. सोमनाथ यह शिवलिंग गुजरात के काठियावाड़ में स्थापित है।
2. श्री शैल मल्लिकार्जुन मद्रास में कृष्णा नदी के किनारे पर्वत पर स्थातिप है श्री शैल मल्लिकार्जुन शिवलिंग।
3. महाकाल उज्जैन के अवंति नगर में स्थापित महाकालेश्वर शिवलिंग, जहां शिवजी ने दैत्यों का नाश किया था।
4. ओंकारेश्वर ममलेश्वर मध्यप्रदेश के धार्मिक स्थल ओंकारेश्वर में नर्मदा तट पर पर्वतराज विंध्य की कठोर तपस्या से खुश होकर वरदाने देने हुए यहां प्रकट हुए थे शिवजी। जहां ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापित हो गया।
5. नागेश्वर गुजरात के द्वारकाधाम के निकट स्थापित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग।
6. बैजनाथ बिहार के बैद्यनाथ धाम में स्थापित शिवलिंग।
7. भीमशंकर महाराष्ट्र की भीमा नदी के किनारे स्थापित भीमशंकर ज्योतिर्लिंग।
8. त्र्यंम्बकेश्वर नासिक (महाराष्ट्र) से 25 किलोमीटर दूर त्र्यंम्बकेश्वर में स्थापित ज्योतिर्लिंग।
9. घुमेश्वर महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में एलोरा गुफा के समीप वेसल गांव में स्थापित घुमेश्वर ज्योतिर्लिंग।
10. केदारनाथ हिमालय का दुर्गम केदारनाथ ज्योतिर्लिंग। हरिद्वार से 150 पर मिल दूरी पर स्थित है।
11. विश्वनाथ बनारस के काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग।
12. रामेश्वरम्‌ त्रिचनापल्ली (मद्रास) समुद्र तट पर भगवान श्रीराम द्वारा स्थापित रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग

Tuesday 21 January 2014

जब किसी की शवयात्रा दिखे तो क्या करना चाहिए ?

जब किसी की शवयात्रा दिखे तो क्या करना चाहिए ?
 
जीवन का अंतिम अटल सत्य है मृत्यु। भागवत गीता में श्रीकृष्ण ने बताया है कि जीवन के इस अटल सत्य को कोई टाल नहीं सकता है। जिस व्यक्ति का जन्म हुआ है वह अवश्य ही एक दिन मृत्यु को प्राप्त होगा। अमर केवल आत्मा होती है जो शरीर बदलती है। जिस प्रकार हम कपड़े बदलते हैं ठीक उसी प्रकार आत्मा अलग-अलग शरीर धारण करती है और निश्चित समय के लिए। इसके बाद पूर्व निर्धारित समय पर आत्मा शरीर छोड़ देती है। किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के बाद हिंदू धर्म के अनुसार मृत शरीर का दहन किया जाता है। किसी भी इंसान की मृत्यु के बाद शवयात्रा निकाली जाती है और इस संबंध में भी शास्त्रों में कई नियम बताए गए हैं। जिन्हें अपनाने से धर्म लाभ तो प्राप्त होता है साथ ही इससे मृत आत्मा को शांति भी मिलती है। यदि हम कहीं जा रहे हैं और रास्ते में शवयात्रा दिखाई दे तो उस समय थोड़ी देर ठहर जाना चाहिए। यदि शवयात्रा निकलती दिखाई देती है तो कुछ देर ठहरकर परमात्मा से मृत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना अवश्य करनी चाहिए। मृतक को प्रणाम करके आगे बढऩा चाहिए। ज्योतिष शास्त्र में शवयात्रा के संबंध में बताया गया है कि यदि आप किसी जरूरी कार्य के लिए जा रहे हैं और रास्ते में कोई शवयात्रा दिख जाए तो इसका मतलब है कि आपको इच्छित कार्य में सफलता मिलेगी और परेशानियां दूर हो जाएंगी।

Tuesday 7 January 2014

रुद्राक्ष की माला



रुद्राक्ष की माला

रुद्राक्ष की माला अष्टोत्तर शत अर्थात 108 रुद्राक्षों की या 52 रुद्राक्षों की होनी चाहिए अथवा सत्ताईस दाने की तो अवश्य हो इस संख्या में इन रुद्राक्ष मनकों को पहना विशेष फलदायी माना गया है. शिव भगवान का पूजन एवं मंत्र जाप रुद्राक्ष की माला से करना बहुत प्रभावी माना गया है तथा साथ ही साथ अलग-अलग रुद्राक्ष के दानों की माला से जाप या पूजन करने से विभिन्न इच्छाओं की पूर्ति होती है. माला में रुद्राक्ष की संख्या |

माला में रुद्राक्ष के मनकों की संख्या उसके महत्व का परिचय देती है. भिन्न-भिन्न संख्या मे पहनी जाने वाली रुद्राक्ष की माला निम्न प्रकार से फल प्रदान करने में सहायक होती है जो इस प्रकार है-
रुद्राक्ष के सौ मनकों की माला धारण करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. रुद्राक्ष के एक सौ आठ मनकों को धारण करने से समस्त कार्यों में सफलता प्राप्त होती है. इस माला को धारण करने वाला अपनी पीढ़ियों का उद्घार करता है रुद्राक्ष के एक सौ चालीस मनकों की माला धारण करने से साहस, पराक्रम और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है. रुद्राक्ष के बत्तीस दानों की माला धारण करने से धन, संपत्ति एवं आय में वृद्धि होती है. रुद्राक्ष के 26 मनकों की माला को सर पर धारण करना चाहिए रुद्राक्ष के 50 दानों की माला कंठ में धारण करना शुभ होता है. रुद्राक्ष के पंद्रह मनकों की माला मंत्र जप तंत्र सिद्धि जैसे कार्यों के लिए उपयोगी होती है. रुद्राक्ष के सोलह मनकों की माला को हाथों में धारण करना चाहिए. रुद्राक्ष के बारह दानों को मणिबंध में धारण करना शुभदायक होता है. रुद्राक्ष के 108, 50 और 27 दानों की माला धारण करने या जाप करने से पुण्य की प्राप्ति होती है.