वेद: शिव: शिवो वेद: ...
वेद शिव हैं और
शिव वेद हैं... अर्थात शिव वेदस्वरूप हैं...
वेद को भगवान सदाशिव का नि:श्वास बताते हुए उनकी स्तुति में कहा गया है...
यस्य नि:श्वसितं वेदायो वेदेभ्योखिलं जगत ।
निर्ममे तमहं वंदे विद्यातीर्र्थ महेश्वरम ।।
अर्थात वेद जिनके नि:श्वास हैं, जिन्होंने वेदों के माध्यम से संपूर्ण सृष्टि की रचना की है और जो समस्त विद्याओं के तीर्थ हैं, ऐसे देवों के देव 'महादेव' की मैं वंदना करता हूं। सनातन संस्कृति में वेदों की तरह शिव जी को भी अनादि कहा गया है।
वेद को भगवान सदाशिव का नि:श्वास बताते हुए उनकी स्तुति में कहा गया है...
यस्य नि:श्वसितं वेदायो वेदेभ्योखिलं जगत ।
निर्ममे तमहं वंदे विद्यातीर्र्थ महेश्वरम ।।
अर्थात वेद जिनके नि:श्वास हैं, जिन्होंने वेदों के माध्यम से संपूर्ण सृष्टि की रचना की है और जो समस्त विद्याओं के तीर्थ हैं, ऐसे देवों के देव 'महादेव' की मैं वंदना करता हूं। सनातन संस्कृति में वेदों की तरह शिव जी को भी अनादि कहा गया है।
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