यदि आपके जीवन में भी ऐसी कोई समस्या है जिसका समाधान नहीं तो आप हमें अवश्य मिलें व् संपर्क करेँ शिव कृपा केन्द्र (रजि•) वर्ष-1999 से जनकल्याण में सेवारत फोन - 9999669998 एवं 9873781819 (प्रातः 10 से सायं 6 बजे तक)
Thursday 17 September 2015
Thursday 12 March 2015
भगवान शिव को चावल चढ़ाने से दूर होती हैं पैसों की समस्या:
भगवान शिव को चावल चढ़ाने से दूर होती हैं पैसों की समस्या:
चावल चढ़ाने से दूर होती हैं
पैसों की समस्या, क्योंकि...
चावल को अक्षत भी कहा जाता है और अक्षत का अर्थ होता है जो टूटा न हो। इसका रंग सफेद
होता है। पूजन में अक्षत का उपयोग अनिवार्य है।
किसी भी पूजन के समय गुलाल, हल्दी, अबीर और कुंकुम अर्पित करने के बाद अक्षत चढ़ाए जाते हैं। अक्षत न हो तो पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती। शास्त्रों के अनुसार पूजन कर्म में चावल का काफी महत्व रहता है।
पैसों की समस्या, क्योंकि...
चावल को अक्षत भी कहा जाता है और अक्षत का अर्थ होता है जो टूटा न हो। इसका रंग सफेद
होता है। पूजन में अक्षत का उपयोग अनिवार्य है।
किसी भी पूजन के समय गुलाल, हल्दी, अबीर और कुंकुम अर्पित करने के बाद अक्षत चढ़ाए जाते हैं। अक्षत न हो तो पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती। शास्त्रों के अनुसार पूजन कर्म में चावल का काफी महत्व रहता है।
देवी-देवता को तो इसे समर्पित किया ही जाता है साथ ही किसी व्यक्ति को जब तिलक लगाया जाता है तब भी अक्षत का उपयोग किया जाता है। भोजन में भी चावल का उपयोग किया जाता है। कुंकुम, गुलाल, अबीर और हल्दी की तरह चावल में कोई विशिष्ट सुगंध नहीं होती और न ही इसका विशेष रंग होता है। अत: मन में यह जिज्ञासा उठती है कि पूजन में अक्षत का उपयोग क्यों किया जाता है? दरअसल अक्षत पूर्णता का प्रतीक है। अर्थात यह टूटा हुआ नहीं होता है। इसलिए पूजा में अक्षत चढ़ाने का अभिप्राय यह है कि हमारा पूजन अक्षत की तरह पूर्ण हो। अन्न में श्रेष्ठ होने के कारण भगवान को चढ़ाते समय यह भाव रहता है कि जो कुछ भी अन्न हमें प्राप्त होता है वह भगवान की कृपा से ही मिलता है।
अत:हमारे अंदर यह भावना भी बनी रहे। इसका सफेद रंग शांति का प्रतीक है। अत: हमारे प्रत्येक कार्य की पूर्णता ऐसी हो कि उसका फल हमें शांति प्रदान करे। इसीलिए पूजन में अक्षत एक अनिवार्य सामग्री है ताकि ये भाव हमारे अंदर हमेशा बने रहें।
जय शिव
Sunday 1 March 2015
भगवान शिव को चावल चढ़ाने से दूर होती हैं पैसों की समस्या:
भगवान शिव को चावल चढ़ाने से दूर होती हैं पैसों की समस्या:
चावल चढ़ाने से दूर होती हैं पैसों की समस्या, क्योंकि...
चावल को अक्षत भी कहा जाता है और अक्षत का अर्थ होता है जो टूटा न हो। इसका रंग सफेद होता है। पूजन में अक्षत का उपयोग अनिवार्य है।
किसी भी पूजन के समय गुलाल, हल्दी, अबीर और कुंकुम अर्पित करने के बाद अक्षत चढ़ाए जाते हैं। अक्षत न हो तो पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती। शास्त्रों के अनुसार पूजन कर्म में चावल का काफी महत्व रहता है।
चावल चढ़ाने से दूर होती हैं पैसों की समस्या, क्योंकि...
चावल को अक्षत भी कहा जाता है और अक्षत का अर्थ होता है जो टूटा न हो। इसका रंग सफेद होता है। पूजन में अक्षत का उपयोग अनिवार्य है।
किसी भी पूजन के समय गुलाल, हल्दी, अबीर और कुंकुम अर्पित करने के बाद अक्षत चढ़ाए जाते हैं। अक्षत न हो तो पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती। शास्त्रों के अनुसार पूजन कर्म में चावल का काफी महत्व रहता है।
देवी-देवता को तो इसे समर्पित किया ही जाता है साथ ही किसी व्यक्ति को जब
तिलक लगाया जाता है तब भी अक्षत का उपयोग किया जाता है। भोजन में भी चावल
का उपयोग किया जाता है। कुंकुम, गुलाल, अबीर और हल्दी की तरह चावल में कोई
विशिष्ट सुगंध नहीं होती और न ही इसका विशेष रंग होता है। अत: मन में यह
जिज्ञासा उठती है कि पूजन में अक्षत का उपयोग क्यों किया जाता है? दरअसल
अक्षत पूर्णता का प्रतीक है। अर्थात यह टूटा हुआ नहीं होता है। इसलिए पूजा
में अक्षत चढ़ाने का अभिप्राय यह है कि हमारा पूजन अक्षत की तरह पूर्ण हो।
अन्न में श्रेष्ठ होने के कारण भगवान को चढ़ाते समय यह भाव रहता है कि जो
कुछ भी अन्न हमें प्राप्त होता है वह भगवान की कृपा से ही मिलता है।
अत:हमारे अंदर यह भावना भी बनी रहे। इसका सफेद रंग शांति का प्रतीक है। अत: हमारे प्रत्येक कार्य की पूर्णता ऐसी हो कि उसका फल हमें शांति प्रदान करे। इसीलिए पूजन में अक्षत एक अनिवार्य सामग्री है ताकि ये भाव हमारे अंदर हमेशा बने रहें।
जय शिव
अब आप हमारी पोस्ट्स
www.facebook.com/shivkripakendrapage
www.shivkripakendra.blogspot.com
www.twitter.com/shivkripakendra
पर भी पढ़ सकते हैं
धन्यवाद
www.shivkripakendra.com
अत:हमारे अंदर यह भावना भी बनी रहे। इसका सफेद रंग शांति का प्रतीक है। अत: हमारे प्रत्येक कार्य की पूर्णता ऐसी हो कि उसका फल हमें शांति प्रदान करे। इसीलिए पूजन में अक्षत एक अनिवार्य सामग्री है ताकि ये भाव हमारे अंदर हमेशा बने रहें।
जय शिव
अब आप हमारी पोस्ट्स
www.facebook.com/shivkripakendrapage
www.shivkripakendra.blogspot.com
www.twitter.com/shivkripakendra
पर भी पढ़ सकते हैं
धन्यवाद
www.shivkripakendra.com
Friday 27 February 2015
Subscribe to:
Posts (Atom)