Saturday 6 July 2013

चतुर्मास नियम

चतुर्मास नियम

जो ब्रह्मचर्य पालन पूर्वक चतुर्मास व्यतीत करता है वह श्रेष्ठ विमान में बैठकर स्वेच्छा से स्वर्ग लोक जाता है l

@ विशेषतः पढ़ें :

* देवशयनी एकादशी के बाद प्रतिज्ञा करना कि ''हे भगवान ! मैं आपकी प्रसन्नता के लिए अमुक सत्कर्म (नियम) करूँगा।" और उसका पालन करना इसी को व्रत कहते हैं। यह व्रत अधिक गुणों वाला होता है। अग्निहोत्र, भक्ति, धर्मविषयक श्रद्धा, उत्तम बुद्धि, सत्संग, सत्यभाषण, हृदय में दया, सरलता एवं कोमलता, मधुर वाणी, उत्तम चरित्र में अनुराग, वेदपाठ, चोरी का त्याग, अहिंसा, लज्जा, क्षमा, मन एवं इन्द्रियों का संयम, लोभ, क्रोध और मोह का अभाव, वैदिक कर्मों का उत्तम ज्ञान तथा भगवान को अपने चित्त का समर्पण – इन नियमों को मनुष्य अंगीकार करे और व्रत का यत्नपूर्वक पालन करे।

* देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी (चतुर्मास :19 जुलाई, 2013 - 13 नवम्बर, 2013) तक उक्त धर्मों का साधन एवं नियम महान फल देने वाला है।

* किसी कारण से यदि चतुर्मास के चारों महीनों में नियमों का पालन संभव ना हो तो केवल कार्तिक मास में ही इन नियमों का पालन करें l

* जिसने कुछ उपयोगी वस्तुओं को पूरे चतुर्मास में त्याग देने का नियम लिया हो, उसे वे वस्तुएं सात्त्विक ब्राह्मण को दान करनी चाहिए l ऐसा करने से ही वह त्याग सफल होता है l

स्रोतः
(पद्म पुराण के उत्तर खंड, स्कंद पुराण के ब्राह्म खंड एवं नागर खंड उत्तरार्ध से संकलित)

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