Sunday 28 July 2013

श्रावण माष में रुद्राभिषेक महात्म्य

श्रावण माष में रुद्राभिषेक महात्म्य --------

भगवान शिव का पूजन व रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है |
रुद्राभिषेक करने से कार्य की सिद्धि शीघ्र होती है |
धन की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को स्फटिक शिवलिगं पर गोदुग्ध से,
सुख समृद्धि की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को गोदुग्ध में चीनी व मेवे के घोल से,
शत्रु विनाश के लिए सरसों के तेल से,
पुत्र प्राप्ति हेतु मक्खन या घी से,
अभीष्ट की प्राप्ति हेतु गोघृत से तथा भूमि भवन एवं वाहन की प्राप्ति हेतु शहद से रुद्राभिषेक करना चाहिए |

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नव ग्रहों के पीड़ा के निवारणार्थ निम्न द्रव्य विहित है...... यदि जन्म कुण्डली में सूर्य से सम्बन्धितकष्ट या रोग हो तो श्वेतार्क के पत्तो को पीस कर गंगाजल में मिलाकर रुद्राभिषेक करें | चन्द्रमा से सम्बन्धित कष्ट या रोग हो तो काले तिल को पीस कर गंगाजल में मिलाकर, मंगल से सम्बन्धित कष्ट या रोग हो तो अमृता के रस को गंगाजल में मिलाकर,बुध जनित रोग या कष्ट हो तो विधारा के रस से,,गुरु जन्य कष्ट या रोग हो तो हल्दी मिश्रित गोदुग्ध से,,
शुक्र से सम्बन्धित रोग एवं कष्ट हो तो गोदुग्ध के छाछ से,, शनि से सम्बन्धित रोग या कष्ट होने पर
शमी के पत्ते को पीस कर गंगाजल में मिलाकर,,राहु जनित कष्ट व पीड़ा होने पर दूर्वा मिश्रित गंगा जल से,, केतु जनित कष्ट या रोग होने पर कुश की जड़ को पीसकर गंगाजल में मिश्रित करके रुद्राभिषेक करने पर कष्टों का निवारण होता है व समस्त ग्रह जनित रोग का समन होता है |

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