Thursday 27 June 2013

शिखा का महत्त्व क्यों ? ( शिर पर चोटी रखने का महत्त्व क्यों ?)



शिखा का महत्त्व क्यों ? ( शिर पर चोटी रखने का महत्त्व क्यों ?)

प्रणाम दोस्तों,

आप देखते होंगे की कई ब्राह्मण शिर के ऊपर शिखा रखते हे परन्तु शास्त्र के अनुसार सभी को शिखा रखनी चाहिए | शिखा को हिंदू धर्म का उपलक्षण माना गया हे | प्रकृति और विज्ञानं के नियमों को ध्यान में रख कर यह शिखा शास्त्र तैयार किया गया हे | मनु भगवान ने प्रत्येक व्यक्ति को शिखा संस्कार यानी चौलकर्म करने को कहा हे | शिखा कितनी बड़ी हो, इस सम्बन्ध में शास्त्र का वचन हे की इसका आकार गोखुर( गाय के खुर ) के बराबर होना चाहिए |

शिखा का मर्म समजने के लिए हमें सर्वप्रथम मस्तक की रचना समझनी चाहिए | मस्तक के दो भाग होते हे जो आपस में जुड़े होते हे | शारीर के अंदर तिन नाडिया प्रवाह करती हे, इडा, पिंगला और सुषुम्ना नाडी, इन तिन में से सुषुम्ना नाडी मस्तक के दोनों कपालो के मध्य से उर्ध्व दिशा की और जाती हे | वैसे मानव उत्क्रांति का सर्वोच्च पड़ाव आत्मसाक्षात्कार हे | यह आत्मसाक्षात्कार सुषुम्ना नाडी के माध्यम से होता हे | और सुषुम्ना नाडी अपान मार्ग से होती हुई मस्तक द्वारा ब्रह्मरंध्र में विलीन हो जाती हे | ब्रह्मरंध्र ज्ञान, कर्म और इच्छा - इन तीनों शक्तियो का संगम हे | इसी कारण मस्तक के अन्य भागो की अपेक्षा ब्रह्मरंध्र को अधिक ठंडापन स्पर्श करना जरुरी है | इस लिए उतने भाग पर केश होना बहुत आवश्यक हे| जब बाहर के वातावरण में ठण्ड होंने पर भी यह शिखा के केश के कारन शिर के ऊपर ब्रह्मरंध्र में पर्याप्त रूप से उष्णता बनी रहती हे |

यजुर्वेद में शिखा को इन्द्र्योनी कहा गया हे | हमारे शारीर में कर्म - ज्ञान और इच्छा की उर्जा ब्रह्मरंध्र के माध्यम से ही इन्दिर्यो को प्राप्त होती हे | अगर सीधे सादे शब्दों में कहे तो ये हमारे शारीर का एंटेना हे - जैसे दूरदर्शन और आकाशवाणी के प्रसारण को हम एंटेना के माध्यम से पकड़ते हे ठीक उसी तरह ब्रह्माण्ड की उर्जा प्राप्त करने के लिए शिखा अत्यंत आवश्यक हे | इसे अंग्रेजी भाषा में "पिनिअल ग्लेंड" कहा जाता हे | इस ग्रंथि का सही स्थान ब्रह्मरंध्र के पास रहता हे - यह ग्रंथि जितनी ज्यादा संवेदनशील होती हे, मानव का विकास उतना ही अधिक होता हे |

मन्त्र पुरुश्चरण और अनुष्ठान के समय शिखा को गांठ बांधनी चाहिए | इसका कारण यह हे की गांठ बांधने से मन्त्र स्पंदन द्वारा उत्पन्न होने वाली उर्जा शारीर में एकत्रित होती हे | और शिखा की वजह से यह उर्जा बहार जाने से रुक जाती हे | और हमें मन्त्र जप का सम्पूर्ण लाभ प्राप्त होता हे |

: :
नमः शिवाय ::

No comments:

Post a Comment